Hindi | English

 

A True Story of Vikram Era 1365

Home Page | Ancient Temple's History | History of Pallu | Chalisa | Prayers | Timing of Prayer | Route of Temple | Important Festivals | Temple Address

 

 

 

 
:: Sri Brahmaanee Chalisa ::

दोहा

कोटि कोटि निवण मेरे माता पिता को
जिसने दिया शरीर
बलिहारी जाऊँ गुरू देव ने, दिया हरि भजन में सीर ॥ १ ॥

श्री ब्रह्माणी स्तुति

चन्द्र दिपै सूरज दिपै, उड़गण दिपै आकाश ।
इन सब से बढकर दिपै, माताऒ का सुप्रकाश ॥

मेरा अपना कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोय ।
तेरा तुझको सौंपते, क्या लगता है मोय  ॥

जय जय श्री ब्रह्माणी, सत्य पुंज आधार ।
चरण कमल धरि ध्यान में, प्रणबहुँ बारम्बार ॥

श्री ब्रह्माणी चालीसा
चौपाई
 

जय जय जग मात ब्रह्माणी ।
भक्ति मुक्ति विश्व कल्याणी ॥ १ ॥

वीणा पुस्तक कर में सोहे ।
मात शारदा सब जग सोहे ॥ २ ॥

हँस वाहिनी जय जग माता ।
भक्त जनन की हो सुख दाता ॥ ३ ॥

ब्रह्माणी ब्रह्मा लोक से आई ।
मात लोक की करो सहाई ॥ ४ ॥

खीर सिन्धु में प्रकटी जब ही ।
देवों ने जय बोली तब ही ॥ ५ ॥

चतुर्दश रतनों में मानी ।
अद॒भुत माया वेद बखानी ॥ ६ ॥

चार वेद षट शास्त्र कि गाथा ।
शिव ब्रह्मा कोई पार न पाता ॥ ७ ॥

आद अन्त अवतार भवानी ।
पार करो मां माहे जन जानी ॥ ८ ॥

जब−जब पाप बढे अति भारे ।
माता सस्त्र कर में धारे ॥ ९ ॥

अद्य विनाशिनी तू जगदम्बा ।
धर्म हेतु ना करी विलम्भा ॥ १० ॥

नमो नमो चण्डी महारानी ।
ब्रह्मा विष्णु शिव तोहे मानी ॥ ११ ॥

तेरी लीला अजब निराली ।
स्याह करो माँ पल्लू वाली ॥ १२ ॥

चिन्त पुरणी चिन्ता हरणी ।
अमंगल में मंगल करणी ॥ १३ ॥

अन्न पूरणी हो अन्न की दाता ।
सब जग पालन करती माता ॥ १४ ॥

सर्व व्यापिनी अशख्या रूपा ।
तो कृपा से टरता भव कूपा ॥ १५ ॥

योग निन्दा योग माया ।
दीन जान, माँ करियो दाया ॥ १६ ॥

पवन पुत्र की करी सहाई ।
लंक जार अनल शित लाई ॥ १७ ॥

कोप किया दश कन्ध पे भारी ।
कुटम्ब सहारा सेना भारी  ॥ १८ ॥

तुही मात विधी हरि हर देवा ।
सुर नर मुनी सब करते सेवा ॥ १९ ॥

देव दानव का हुवा सम्वादा ।
मारे पापी मेटी बाधा ॥ २० ॥

श्री नारायण अंग समाई ।
मोहनी रूप धरा तू माई ॥ २१ ॥

देव दैत्यों की पंक्ती बनाई ।
सुधा देवों को दीना माई ॥ २२ ॥

चतुराई कर के महा माई ।
असुरों को तूं दिया मिटाई ॥ २३ ॥

नौखण्ङ मांही नेजा फरके ।
भय मानत है दुष्टि डर के ॥ २४ ॥

तेरह सो पेंसठ की साला ।
आसू मांसा पख उज्याला ॥ २५ ॥

रवि सुत बार अष्टमी ज्वाला ।
हंस आरूढ कर लेकर भाला ॥ २६ ॥

नगर कोट से किया पयाना ।
पल्लू कोट भया अस्थाना ॥ २७ ॥

चौसठ योगिन बावन बीरा ।
संग में ले आई रणधीरा ॥ २८ ॥

बैठ भवन में न्याव चुकाणी ।
द्वार पाल सादुल अगवाणी ॥ २९ ॥

सांझ सवेरे बजे नगारा ।
सीस नवाते शिष्य प्यारा ॥ ३० ॥

मढ़ के बीच बैठी मतवाली ।
सुन्दर छवि होंठो की लाली ॥ ३१ ॥

उतरी मढ बैठी महा काली ।
पास खडी साठी के वाली ॥ ३२ ॥

लाल ध्वजा तेरी सीखर फरके ।
मन हर्षाता दर्शन करके ॥ ३३ ॥

चेत आसू में भरता मेला ।
दूर दूर से आते चेला ॥ ३४ ॥

कोई संग में कोई अकेला ।
जयकारो का देता हेला ॥ ३५ ॥

कंचन कलश शोभा दे भारी ।
पास पताका चमके प्यारी ॥ ३६ ॥

भाग्य साली पाते दर्शन ।
सीस झुका कर होते प्रसन ॥ ३७ ॥

तीन लोक की करता भरता ।
नाम लिया स्यू कारज सरता ॥ ३८ ॥

मुझ बालक पे कृपा की ज्यो ।
भुल चूक सब माफी दीज्यो ॥ ३९ ॥

मन्द मति दास चरण का चेहरा ।
तुझ बिन कौन हरे दुख मेरा ॥ ४० ॥

 

दोहा

आठों पहर तन आलस रहे, मैं कुटिल बुद्धि अज्ञान ।
भव से पार करो मातेश्वरी, भोला बालक जान ॥

 

 

Complain & Suggestion | Photo Gallery | Bhajan Collections | Prasad & Prayer System | Download | Place to Visit | Accommodation | Few True Events


Hosted & Maintained by : Shivam E-Commerce
All Rights Reserved